शिक्षकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति -कितनी प्रासंगिक ?
क्या कॉलेज लेक्चरर्स और उनके शिक्षण कार्य को बायोमेट्रिक उपस्थिति के दायरे में बाँधा जा सकता है?कदाचित नहीं ! एक सच्चे शिक्षक के लिए शायद उसकी अंतर आत्मा ही सबसे बड़ी बायोमेट्रिक मशीन है। फिर ऐसे समय में जहाँ कॉलेज लेक्चरर्स को अध्यापन के अतिरिक्त भी अनेक कार्य करने होते हैं...जैसे शोध ,कैम्प्स ,सेमिनार ,रिफ्रेशर ओरिएंटेशन कोर्सेज ,शिक्षणेतर गतिविधियां इत्यादि। और अब जब बहुत सारी पक्रियाएँ ऑनलाइन हो गयी हैं ,किसी भी समय आपको आदेश की पलना के लिए तैयार रहना होता है। ऐसे समय में सवा पांच घंटे तक केवल अंगूठा लगाने के लिए रुके रहना बेमानी है । क्या एक शिक्षक सवा पांच घंटे के बाद कुछ भी अध्ययन न करे ? इस बात को कैसे सुनिश्चित किया जायेगा की जबरदस्ती रोके जाने वाला लेक्चरर अपनी कक्षाएं ईमानदारी से ले रहा है या नहीं। मेरे विचार से सवा पांच घंटे की बाध्यता की जगह यह सुनिश्चित किया जाना जरुरी है कि सभी कक्षाएं नियमित रूप से हो रही हैं और छात्रों की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। लेक्चरर्स की बायोमेट्रिक मशीन के साथ छात्रों की उपस्थिति कप सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए भी बायोमेट्रिक उपस्थिति होनी चाहिए साथ ही महाविद्यालयों में लाइब्रेरी व अन्य सुविधाएँ विकसित होनी चाहिए ताकि समय का अपव्यय न हो। यदि कोई शिक्षक अपने कर्तवयों के लिए ईमानदार है तो वह बायोमेट्रिक मशीन द्वारा तय समय सीमा से कहीं बहुत आगे जा कर विद्यार्थियों और महाविद्यालय के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।
डॉ मंजुश्री गुप्ता
क्या कॉलेज लेक्चरर्स और उनके शिक्षण कार्य को बायोमेट्रिक उपस्थिति के दायरे में बाँधा जा सकता है?कदाचित नहीं ! एक सच्चे शिक्षक के लिए शायद उसकी अंतर आत्मा ही सबसे बड़ी बायोमेट्रिक मशीन है। फिर ऐसे समय में जहाँ कॉलेज लेक्चरर्स को अध्यापन के अतिरिक्त भी अनेक कार्य करने होते हैं...जैसे शोध ,कैम्प्स ,सेमिनार ,रिफ्रेशर ओरिएंटेशन कोर्सेज ,शिक्षणेतर गतिविधियां इत्यादि। और अब जब बहुत सारी पक्रियाएँ ऑनलाइन हो गयी हैं ,किसी भी समय आपको आदेश की पलना के लिए तैयार रहना होता है। ऐसे समय में सवा पांच घंटे तक केवल अंगूठा लगाने के लिए रुके रहना बेमानी है । क्या एक शिक्षक सवा पांच घंटे के बाद कुछ भी अध्ययन न करे ? इस बात को कैसे सुनिश्चित किया जायेगा की जबरदस्ती रोके जाने वाला लेक्चरर अपनी कक्षाएं ईमानदारी से ले रहा है या नहीं। मेरे विचार से सवा पांच घंटे की बाध्यता की जगह यह सुनिश्चित किया जाना जरुरी है कि सभी कक्षाएं नियमित रूप से हो रही हैं और छात्रों की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है। लेक्चरर्स की बायोमेट्रिक मशीन के साथ छात्रों की उपस्थिति कप सुनिश्चित करने के लिए उनके लिए भी बायोमेट्रिक उपस्थिति होनी चाहिए साथ ही महाविद्यालयों में लाइब्रेरी व अन्य सुविधाएँ विकसित होनी चाहिए ताकि समय का अपव्यय न हो। यदि कोई शिक्षक अपने कर्तवयों के लिए ईमानदार है तो वह बायोमेट्रिक मशीन द्वारा तय समय सीमा से कहीं बहुत आगे जा कर विद्यार्थियों और महाविद्यालय के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।
डॉ मंजुश्री गुप्ता
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