Thursday, August 8, 2013

 गरीबी क्या है ?

पंद्रह अगस्त को -लकदक कपडे पहने 
ए सी कार में ,अपने लाव  लश्कर के साथ 
नेता जी 
पहुंचे झोपड़पट्टी में 
झंडा फहराया और  फ़रमाया 
 भाइयो और बहनों ....
क्या आपने दिन भर में 
तैंतीस  रूपया कमाया?
और इक्कीस सौ कलोरी खाना है खाया ?
फिर आप  गरीब कहाँ ?
गरीबी तो मन में होती है 
तन तो है  माया !
आपके मन की गरीबी हम 
दूर करके ही रहेंगे 
वोट हमें ही दीजिये !
यह सुन कर झोपड़पट्टी के अमीरों का 
नेता जी पर प्यार उमड़ आया 
हजारों ने घेर कर उन्हें गले से लगाया 
उनकी जय जयकार का नारा  लगाया 
उनके लाव  लश्कर को भगाया 
और कहा -
आज  से दो दिन 
आप हमारे मेहमान हैं भाया !
हमारे अमीरी ठाठ देखो -भोगो 
थोडा" चेंज " भी मिल जायेगा आपको 
उन्होंने नेता जी को नाले के बाजूवाली 
भीखा भाई रिक्शे वाले की 
झोपड़ी में ठहराया 
उनके लक दक  कपड़ों को उतार  कर 
एक फटी मैली बनियान और 
पैबंद लगा पैजामा पहनाया 
उनके स्वागत में सबने चन्द करके 
दिन भर में तैंतीस रूपया लगाया 
भीखा  भाई ने अपने रिक्शे में 
नेता जी को पूरा शहर घुमाया 
साथ में असलम मेकैनिक को बिठाया 
नाश्ते में उन्हें थडी पर चाय और टोस्ट 
और लंच में बड़ा पाव  खिलाया 
बोले-सोचो आपने  फाइव स्टार होटल में है खाया !”
जगह जगह गड्ढे ,कचरे के ढेर,गन्दगी और कीचड 
देख कर नेता जी का सर चकराया 
बोले-ये कहाँ थे अब तक ?”
मुझे  कभी नजर नहीं आया?”
असलम ने कहा-
'अभी तो आप ये सोचो भाया 
ये एकदम चिकनी ,साफ सुथरी सड़क है 
और सारी  बड़ी बड़ी इमारतें और कारे 
अपनी ही हैं 
घूमते घूमते- रात होने तक 
भूख से नेता जी का पेट कुलबुलाया 
मगर तैंतीस रुपये ख़तम हो चुके  थे 
इसलिए  सबने उन्हें  भूखा ही सुलाया
टपकती छत ,फटी गुदड़ी ,सीलन ,मच्छर  और खटमल
नाले की बदबू ,कुत्तों की भौं भौं , गन्दगी और भूख से
नेता घबराया ...."निकालो मुझे यहाँ से "
जोर से चिल्लाया
लोगों ने कहा -
"क्या अब तुझे गरीबी का मतलब समझ में आया ?
हमारी हालत ऐसी तूने की है
हमारा पैसा स्विस बैंकों  में जमा कराया "
एक रात में ही नेता की पलट गयी काया
और उसका पूरा वजूद थरथराया
दुसरे दिन  सुबह वह झोपड़पट्टी में नजर नहीं आया !
                                          डॉ मंजुश्री गुप्ता  .
  






Monday, August 5, 2013

अद्भुत एहसास 

एक नन्हा शिशु 
जिसकी ऑंखें चमक जाती थी  
मुझे देखते ही 
माँ -माँ कर हुमकता था 
काम से घर लौटते ही 
गोद में आने को लपकता था 
स्कूल से घर लौटने 
पर भूख लगी भूख लगी 
कह कर  मचलता था 
आज बड़ा हो चला है 
अपनी स्वतंत्र अस्मिता को
 पहचानते हुए 
नए नए दोस्त ,नयी नयी बातें 
कंप्यूटर सॉफ्टवेयेर्स ,
मोबाइल ऐप्स का ज्ञान 
घर की जिम्मेदारियां संभालना 
अपना होमवर्क खुद करना 
स्कूल के क्रिया कलापों में
 बढ़ चढ़ के हिस्सा लेना 
विभिन्न प्रतियोगिताएं में पदक लाना 
उसकी दुनिया फैलती जा रही है 
और मैं सिमटती जा रही हूँ 
निर्भर हो रही हूँ उस पर 
नयी जानकारियों के लिए 
बहुत अच्छा  क्यों लगता है 
जब वो कहता है 
"क्या माँ -आपको ये भी नहीं पता?"
अद्भुत लगता है 
अपने बच्चे को बड़ा होते हुए देखना !

                      डॉ मंजुश्री गुप्ता