Tuesday, April 24, 2012

कैसा आत्मविश्वास ?


कितने आत्म विश्वास 
के साथ चलती हैं वो
अपने कार्यस्थल पर
आकर्षक ,अनुकरणीय है
उनका व्यक्तितंव !
प्रिय हैं
सहयोगियों की
पर देखा है मैंने
उनके आत्मविश्वास भरे क़दमों को
डगमगाते
उनके अपने ही घर
और घरेलू रजनीति के
दाव पेंचो की भूल भुलैया में!
क्या लौह मस्तिष्क है उनका?
सहती रहती हैं 
अकर्मण्य पति की दहाड़ 
सास की चिंघाड़
देवरों और ननदों के व्यंग बाण
बच्चों की चिल्लपों
इन तथा कथित सगे लोगो पर 
हवं हो जाती है
हर महीने की पगार 
वो चुप रहती हैं
कि भंग न हो 
घर की तथा कथित शांति
भले ही उनका हृदय 
करता हो चीत्कार 



Tuesday, April 10, 2012

ठूंठ सा आदमी



कंक्रीट के जंगल में
संवेदना के पत्तों से विहीन
अपनी जड़ों से उखड़ा हुआ 
अपनी अकड़ में अकड़ा हुआ है
ठूंठ सा आदमी.
धूल भरी हवा और
 प्रदूषित जल से सिंचित
नोटों की खाद को तरसता 
नोटों से ही औरों को परखता 
अपने ही घर में अजनबी सा रहता
खुद से ही बेजार है ठूंठ सा आदमी. 

Monday, April 9, 2012

प्रेम -कुछ भिन्न आयाम

मैं और तुम 
कुछ ऐसे दोस्त बने
की मैं मैं ही रहूँ
और तुम तुम ही रहो
मैं दिन को अगर रात कहूं
तो तुम मुझे सुधारो
हम चाँद के पार न जाकर
यहीं धरती पर सुलझाएं और लड़े
जमीनी वास्तविकताओं का
हम कल्पनाओं में नहीं जियें 
वरन  जिंदगी की आपाधापी में 
 एक दूसरे का संबल बने रहें
सच्चे दोस्त की तरह
हमारा प्रेम हमें बांधे  नहीं 
बल्कि मुक्त कर दे 
एक दूसरे को 
प्रेम में हम गिरे नहीं
बल्कि और ऊंचे उठ जाएँ 
अपनी अस्मिता से.