के साथ चलती हैं वो
अपने कार्यस्थल पर
आकर्षक ,अनुकरणीय है
उनका व्यक्तितंव !
प्रिय हैं
सहयोगियों की
पर देखा है मैंने
उनके आत्मविश्वास भरे क़दमों को
डगमगाते
उनके अपने ही घर
और घरेलू रजनीति के
दाव पेंचो की भूल भुलैया में!
क्या लौह मस्तिष्क है उनका?
सहती रहती हैं
अकर्मण्य पति की दहाड़
सास की चिंघाड़
देवरों और ननदों के व्यंग बाण
बच्चों की चिल्लपों
इन तथा कथित सगे लोगो पर
हवं हो जाती है
हर महीने की पगार
वो चुप रहती हैं
कि भंग न हो
घर की तथा कथित शांति
भले ही उनका हृदय
करता हो चीत्कार