Saturday, February 25, 2012

समयांतर



प्रथम नियुक्ति पत्र मिलने पर
मैंने बेटे को गोद में उठा कर
 उसका माथा चूमना चाहा
जैसा मैं हर बार उसके 
प्रथम आने पर करती थी
मगर ये क्या?
उसने मुझे ही गोद में उठा कर 
गोल गोल घुमा 
सोफे पर बैठा दिया 
और कहा 
मां अब तुम आराम करो
मैं हूँ ना
मेरी नजर उसके जूतों पर गयी
अरे !
ये इतने बड़े कब हो गए?
                                                 

Tuesday, February 21, 2012

पापा को-जन्मदिवस पर

सोचती रही
क्या करूँ?
आपके जन्म दिवस पर 
प्यारे पापा
खरीदूं कोई कीमती तोहफा?
मगर वह उस जिंदगी से 
ज्यादा कीमती कहाँ हो सकता है
जो आपने मुझे  दी?
लाऊं कोई बड़ा ,महंगा कार्ड?
सुन्दर सुन्दर शब्दों से सजा?
मगर वे शब्द उनसे सुन्दर कहाँ हो सकते हैं
जो आपने मुझे सिखाये?
मुझे अभी भी याद है
वो गुलाबी फ्राक 
जो आपने पार्सल की थी
मेरे जन्म दिवस पर
जब आप शहर में नहीं थे
कोई भी पार्सल क्या ज्यादा खुबसूरत 
हो सकता है
उस मधुर स्मृति से?
आपने मुझे उंगली पकड़ कर 
चलना ही नहीं सिखाया
बल्कि हिम्मत और ताकत भी दी
ऊंचे आकाश में उड़ने की
हर परिस्थिति में 
आपका शर्तविहीन प्यार और सहारा
आज मेरी ज़िन्दगी का संबल है
कुछ भी बड़ा नहीं हो सकता
इन सबसे-आप से
मेरी क्षमता सिर्फ तीन शब्द कहने की है
पूरे दिल से
हैप्पी बर्थ डे-प्यारे पापा